सत्य हमेशा स्पष्ट होता है. उसके लिए किसी तरह की दलील की ज़रूरत नहीं होती. यह बात और है कि हम उदसे न समझ पायें या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रयास करें. अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस सृष्टि के अन्तिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के आगमन की भविष्यवाणियां की गयी हैं. मानवतावादी सत्य गवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्रय प्रमाण पेश करा दिये, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है.
वेदों में जिस उष्ट्रारोही (उंट की सवारी करने वाले) महापुरूष के आने की भविष्यवाणी की गयी है, वे हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ही हैं. वेदों के अनुसार उष्ट्रारोहीका नाम नराशंस होगा. नराशंस का अरबी अनुवाद मुहम्मद होता है. नराश्शंस के बारे में वार्णित समस्त क्रियाकलाप हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के आचरणों और व्यवहारों से चमत्कारिक साम्यता रखते हैं. पुराणों और उपनिषदों में कल्कि अवतार की चर्चा है, जो हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ही सिद्ध होते हैं. कल्ज्कि का व्यक्तित्व और चारित्रिक विशेषताऐं अन्तिम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के जीवन-चरित्र को पूरी तरह निरूपित करती हैं. यही नहीं उपनिषदों में साफ़ तौर से हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) का नाम आया है और उन्हें अल्लाह का रसूल (संदेशवाहक) बताया गया है. पुराण और उपनिषदों में यह भी वर्णित है कि ईश्वर एक है. उसका कोई भागीदार नहीं है. इनमें ‘अल्लाह’ शब्द का उल्लेख कई बार किया गया है.
इन सच्चाइयों के आलोक में मानवमात्र को एक सूत्र में बांधने और मानव एकता एवं आखण्डता को मजबूत करने के लिए सार्थक प्रयास हो सकते हैं. यह समय की मांग भी है. वैमनस्यता और साम्प्रदायिक्ता के इस आत्मघाती दौर में ये सच्चाइयां मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. भाई-भाई को गले मिलवा सकती हैं और एक ऐसे नैतिक और सद् समाज का निर्माण कर सकती है, जहां हिंसा, शोषण, दमन और नफ़रत लेशमात्र भी न हो. इन्हीं उददेश्यों को लेकर सभी सच्चाइयों को एक साथ आपके समक्ष संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है. (विस्तृत अध्ययन के लिए सन्दर्भित पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता है) उम्मीद है कि ये सच्चाइयां दिल की गहराइयों में उतर कर हम सभी को मानव कल्याण के लिए प्रेरित करेंगी. प्रस्तुत आलेख में डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय के शोध ग्रन्थों ‘नराशंस और अन्तिम ऋषि’ और ‘कल्कि अवतार और मुहम्मद साहब’ के अलावा अन्य स्रोतों से प्राप्त तथ्यों का समावेश किया गया है.
नराशंस या मुहम्मद ः-
वेदों में नराशंस या मुहम्मद के अ.ने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है बल्कि ग्रन्थों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है. यह ज़रूर चमत्कारिक बात है कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के आने की भविष्यवाणी जितनी अधिक धार्मिक ग्रन्थों में की गई है उतनी किसी अन्य पैग़म्बर के बारे में नहीं की गई. ईसाइयों, यहूदियों और बौद्धों के धार्मिक ग्रन्थों में हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के अन्तिम ईशदूत के रूप में आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं.
वेदों का नराशंस शब्द ‘नर’ औरन ‘आशंस’ दो शब्दों से मिलकर बना है. नर का अर्थ मनुष्य होता है और आशंस का अर्थ मनुष्यों द्वारा प्रशंसित है. सायण ने नराशंस का अर्थ मनुष्यों द्वारा प्रशंसित बताया है. (सायण भाष्य, ऋग्वेद संहिता, 5/5/2). वेदों में ऋग्वेद सबसे पुराना है. उसमें ‘नराशंस’ शब्द से शुरू होने वाले आठ मंत्र हैं. ऋग्वेद के प्रथम मंडल तेरहवें सुक्त तीसरे मंत्र और अठारहवें सूक्त, नवें मंत्र तथा 106वें सूक्त चौथे मंत्र में ‘नराशंस’ का वर्णन आया है. ऋग्वेद के द्वितीय मंडल के तीसरे सूक्त, दूसरे मंत्र, सातवें मंडल के दूसरे सूक्त, दूसरे मंत्र, दसवें, 64वें सूक्त, तीसरें मंत्र और 142वें सूक्त दूसरें मंत्र में भी नराशंस वषियक वर्णन आये है. सामवेद संहिता के 1319वें मंत्र में और वजासनेयी संहिता के 28वें अध्याय के 27वें मंत्र में भी ‘नरशंस’ के बारे में जिक्र आया है.
भविष्य पुराण के अध्याय 323 के श्लोक 5 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि ‘एक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आयेंगे. उनका नाम महामद होगा. वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आयेंगे. इस अध्याय का श्लोक 6,7,8 भी मुहम्मद साहब के वषिय में है. पैग़ग्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के जन्म स्थान सहित अन्य साम्यताएं कल्कि अवतार से भी मिलती हैं, जिनका वर्णन कल्कि पुराण में है.
कल्कि अवतार के आने का लक्षण ः-
कल्कि के अवतरित होने का समय उस माहौल में बताया गया है जब कि बर्बरता का साम्राज्य होगा. लोगों में हिंसा व अराजकता का बोल-बाला होगा. दूसरों को मार कर उनका धन लूट लेना और लड़कियों को पैदा होते ही पृथ्वी में गाड़ देना. एक ईश्वर को छोड़कर कई देवियों-देवताओं की पूजा. पेड़-पौधों एवं पत्थरों को भगवान मानने की प्रवृत्ति, असमानता आदि ऐसे ही नाजुक दौर में हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) भेजे गये थे.
दूसरी बात ध्यान देने की यह है कि अन्तिम अवतार उस समय होगा जबकि युद्धों में तलवार का इस्तेमाल होगा और घोड़ों की सवारी की जाती हो. आज से लगभग चौदह सौ वर्ष पूर्व तलवारों और घोड़ों का प्रयोग होता था. उसके लगभग सौ वर्ष बाद से बारूद का निर्माण सोडा और कोयला मिलाकर होने लगा था. वर्तमान समय में तो घोड़ों और तलवारों का स्थान टैंकों और मिसाइलों आदि ने ले लिया है.
कल्कि के अवतार का स्थान -
कल्कि के अवतार का स्थान शम्भल ग्राम में होने का उल्लेख कल्कि पुराण में किया गया है. यहां पहले यह यह निश्चय करना आवश्यक है कि शम्भल ग्राम का नाम है या किसी ग्राम का विशेषणा डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय के मतानुसार ‘शम्भल’ किसी ग्राम का नाम नहीं हो सकता, क्योंकि यदि किसी ग्राम विशेष को शम्भल नाम दिया गया होता तो उसकी स्थिति भी बताई गई होती. भारत में खोजने पर यदि कोई शम्भल नाम का ग्राम मिलता है तो वहां आज से लगभग चौदह सौ वर्ष पूर्व कोई पुरूष ऐसा नहीं पैदा हुआ जोलोगों का उद्धारक हो. फिर अन्तिम अवतार कोई खेल तो नहीं है कि अवतार हो जाय और समाज में ज़रा सा परिवर्तन भी न हो, अतः शम्भल शब्द को विशेषण मानकर उसकी व्युत्पत्ति पर विचार करना आवश्यक है.
1- शम्भल शब्द ‘शम’ (शान्त करना) धातु से बना है अर्थात् जिस स्था में शान्ति मिले.
2- सम् उपसर्गपूर्वक ‘वृ’ धातु में अप् प्रत्यय के संयोग से निष्पन्न शब्द संवर हुआ वबयोरभेदः और रलयोरभेदः के सिद्धांत से शम्भल शब्द की निष्पत्ति हुई, जिसका अर्थ हुआ जो अपनी ओर लोगों को खींचता है या जिसके द्वारा किसी को चुना होता है.
3- ‘शम्वर’ शब्द का नघिण्टु (1/12/88) में उदकनामों के पाठ है. ‘र’ और ‘ल’ में अभेद होने के कारण शम्भल का अर्थ होगा जल का समीपवर्ती स्थाना (कल्कि अवतार और मुहम्मद साहब पृ0 28,30)
इस प्रकार वह स्थान जिसके आसपास जल हो और वह स्थान अत्यन्त आकर्षक एवं शान्तिदायक हो, वहीं शम्भल होगा. अवतार की भूमि पवित्र होती है. ‘शम्भल’ का शाब्दिक अर्थ है( शान्ति का स्थाना मक्का को अरबी में ‘दारूल अमन’ कहा जाता है, जिसका अर्थ शान्ति का घर होता है. मक्का मुहम्मद साहब का कार्यस्थल रहा है.
इसके अलावा जन्म तिथि तथा अन्तिम अवतार की विशेषताएं- अश्वारोही व खडगधारी, दुश्मनों का दमन, चार भाईयों (सहाबा, खुलफाए राशिदीन) के सहयोग से युक्त, आठ सिद्धियों व गुणों से युक्त आदि का अध्ययन करें तो यह मुहम्मद साहब पर बिल्कुल सटीक पड़ती हैं.
उपनिषदों में भी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) की चर्चा –
उपनिषदों में भी हज़रत मुहम्मद साहब और इस्लाम के बारे में जहां तहां उल्लेख मिलता है. नागेन्द्र नाथ बसु द्वारा सम्पादित विश्वकोष के द्वितीय खण्ड में उपनिषदों के श्लोक के वे श्लोक दिये गये हैं जो इस्लाम और पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) से ताल्लुक़ रखते हैं. इनमें से कुछ प्रमुख श्लोक और उनके अर्थ प्रस्तुत किये जा रहे हैं ताकि पाठकों को वास्तविकता का पता चल सके. ‘’हरि ओउम वरूण ........ अलावृकं निखातकम (अल्लोपनिषद- 1,2,3) अर्थात् इस देवता का नाम अल्लाह है. वह एक है. मित्रा वरूण आदि इसकी विशेषताएं हैं. वास्तव में अल्लाह वरूण है जो तमाम सृष्टि का बादशाह है. मित्रो! उस अल्लाह को अपना पूज्य समझो. वह वरूण है और एक दोस्त की तरह वह तमाम लोगों के काम संवारता है. वह इन्द्र है, श्रेष्ठ इंसान इन्द्रा अल्लह सबसे बड़ा सबसे बहतर, सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है. मुहम्म्द अल्लाह के श्रेष्ठतर रसूल हैं. अल्लह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है. तमाम अच्छे काम अल्लाह केलिए ही हैं. वास्तव में अल्लह ही ने सूरज, चांद और सितारे पैदा किये हैं.
इस उपनिषद के अन्य श्लोकों में भी इस्लाम और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के साम्यगत बातें आयीं हैं इस उपनिषद में आगे कहा गया है- ‘’अल्ले यज्ञेन हुत्वा अल्ल सूर्य....... हां अल्लो रसूल मुहमद रकवसय अल्ले अल्लो इलल्लेति इलल्ला (5,6,7)
अर्थात् अल्लाह ने सब ऋषि भेजे और चन्द्रमा, सूर्य एवं तारों को पैदा किया. उसी ने तमाम ऋषि भेजे और आकाश को पैदा किया. अल्लाह ने ब्राह्माण्ड (पृथ्वी और आकाश) को बनाया. अल्लाह श्रेष्ठ है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं. अल्लाह अनादि से है. वह सारे विश्व का पालनहार है. वह तमाम बुराइयों और मुसीबतों को दूर करने वाला है. मुहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेष्ठा) हैं, जो इस संसार का पालनहार है. अतः घोषणा करो कि अल्लाह एक और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं.