मंगलवार, 22 मई 2012

सहीह अहादीस-ए-रसूल(सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम)

1- रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तीन शख्स ऐसे हैं जिनकी तरफ़ अल्लाह तआला नज़रे रहमत से नहीं देखेगा न उनको गुनाहोंसे पाक करेगा और उनके लिए सख्त दर्दनाक अज़ाब होगा। उनमें पहला नम्बर एहसान जतलाने वाला, दूसरे नम्बर पर अपने पाजामा,तहबिन्द को घमण्डपूर्वक टखनों से नीचे घसीटने वाला और तीसरा झूटी कसमें खाकर अपने माल को बेचने वाला।
2-क़यामत के दिन अल्लाह तआला तीन शख्स का खुद मुद्दई बनेगा, 1-जिसने खुदा के वास्ते वादा किया और वादा खिलाफ़ी की,
2-जिसने किसी आज़ाद आदमी को बेच कर उसकी क़ीमत खाई, 3-किसी मज़दूर से पूरा काम लेने के बाद भी मज़दूरी न देने वाला ।
3. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया सात गुनाहों से बचते रहो जो तबाह करने वाले हैंः
1-अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना, 2-जादू करना, 3-किसी की नाहक़ जान लेना कि जिसे अल्लाह ने हराम क़रार दिया है, 4-सूद खाना, 5-यतीम का माल खाना, 6-लड़ाई में से भाग जाना, 7-पाकदामन भोली-भाली ईमान वाली औरतों पर तोहमत लगाना ।
4. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह का हक़ बन्दों पर है कि उसकी इबादत करें और उसके साथ किसी को शरीक न ठहराऐं। और बन्दों का हक़ अल्लाह पर यह है कि जो बन्दा अल्लाह के साथ किसी को शरीक न ठहराये और अल्लाह उसे अज़ाब न दे ।
5. झूठा वह नहीं है जो लोगों में आपस में सुलह कराने की कोशिश करे करे और उसके लिए किसी अच्छी बात की चुग़ली खाए या इसी सिलसिले में और कोई बात कह दे ।
6. किसी शख्स को आग में जलाना जायज़ नहीं , हराम है ।
7. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर यकी़न रखता है उसे चाहिए कि हमसाया (पड़ोसी) की तकरीम करे ।
8. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो मख़लूक़ पर रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता ।
9. जब मुसाफ़िर अपना काम पूरा कर ले तो उसे जल्दी घर वापिस आ जाना चाहिए ।
10. जंग में औरतों का क़त्ल करना मना है ।
11. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मैंने जन्नत में झांक कर देखा तो जन्नतियों में ज़्यादती ग़रीबों की नजर आई और मैंने दोज़ख में झांक कर देखा तो ज़्यादती औरतों की नजर आई ।
12. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः एक आदमी जिंदगी भर बजा़हिर अहले जन्नत के से काम करता है हालांकि वह अहले दोज़ख में से होता है और एक आदमी जिंदगी भर अहले दोज़ख के से काम करता है हालांकि वह अहले जन्नत में से होता है ।
13. मुसलमान वह है जिसकी ज़बान और हाथ से दूसरे मुसलमान भी महफू़ज़ रहें ।
14. जो इंसान दूसरों के ऐब पर दुनिया में पर्दा देता है, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसके ऐबों पर पर्दा डाल देगा ।
15. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः बशक अल्लाह ने माओं की नाफ़रमानी, कंजूसी और भीक, बेटियों को जिन्दा दरगोर करना हराम क़रार दिया है, और अफ़वाहें फैलाना, सवालात की कसरत और माल बरबाद करने को नापसंद क़रार दिया है ।
16. एक शख्स ने रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पास आया और जिहाद में शरीक होने की इजाज़त चाही, आपने पूछा तेरे वालिदेन
जिन्दा हैं? उसने कहा ‘हां’ आपने फ़रमाया उनकी खिदमत कर यही जिहाद है ।
17. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तू अल्लाह, फ़रिश्तों, उसकी किताबों, उसके रसूलों ओैर आखिरत के दिन को तसलीम कर कि यह अच्छाई बुराई हर चीज़ का फैसला हो चुका है ।
18. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अमल करो, हर एक को उसी चीज़ की तौफ़ीक मिलती है जिसके लिए वह पैदा हुआ है ।
19. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो शख्स ऐसा अमल करे जिस पर हमारा हुक्म नहीं है वह मरदूद है ।
20. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तुम में से कोई बुराई देखे तो उसको अपने हाथ से रोके, अगर ताक़त नहीं है तो ज़बान से मना
करे अगर इसकी भी ताक़त नहीं है तो दिल से बुरा जाने और यह कमज़ोर तरीन ईमान है ।
21. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जब मर्द अपनी औरत को अपने बिस्तर पर बुलाए ओैर वह न जाए और वह नाराज़ रात गुज़ार दे तो फ़रिश्ते उस औरत पर सुबह तक लानत करते रहते हैं ।
22. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो बचने की कोशिश करता ह,ै अल्लाह उसे बचाता है और जो बे नियाज़ी अख्तियार करता है
अल्लाह उसे तौफ़ीक देता है और जो सब्र की कोशिश करता है अल्लाह उसे सब्र अता करता है और सब्र से बहतर और वसीअ किसी को कोई चीज़ नहीं मिली ।
23. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मौमिन के लिए कितनी अजीब बात है कि उसके सारे मुआमिलात (व्यवहार) उसके हक़ में बहतर
होते हैं। यदि उसे खुशी पहुंचे तो वह शुक्र अदा करता है और यह उसके लिए खै़र है और अगर तकलीफ़ पहुंचे तो सब्र करता है और यह भी उसके लिए बहतरी और अच्छाई है ।
24. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः बेशक अल्लाह ने मुझे ‘वहृी’ की है कि तवाजेअ (आदर-सत्कार) करो और कोई किसी पर फ़ख्र व बड़ाई न करे और कोई दूसरे पर ज़्यादती न करे ।
25. जो क़सम के ज़रिये किसी मुसलमान का हक़ लेता है अल्लाह ने उसके लिए जहन्नम वाजिब कर दी है और बहिश्त हराम। एक शख्स ने कहा या रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ! चाहे वह मामूली हक़ हो? आपने फ़रमाया चाहे वह पीलू के दरख्त की एक टहनी ही हो ।
26. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः दो आदमियों पर रश्क होना चाहिए, एक वह जिसे अल्लाह तआला माल अता करे और उसे जायज़ जगहों पर खर्च करता है और दूसरा वह जिसे अल्लाह इल्म की दौलत अता करे और वह उसके मुताबिक फ़ैसला करता है और उसकी तालीम देता है ।
27. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तुम में से किसी को उसके अमल निजात नहीं दिला सकेंगे। लोगों ने कहा या रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और न आप रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को ? फ़रमाया और न मुझे, मगर यह कि अल्लाह तआला अपनी रहमत से ढांप ले ।
28. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः इसलाम का असल और उसका सुतून नमाज़ है और इसकी अज़मत व बुलन्दी का निशान अल्लाह के रास्ते में जिहाद है ।
29. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः बहिश्त में दाखिल होने वाले को ज़मीन पर जो कुछ है अगर दे दिया जाए तो फिर भी वह?दुनिया में वापिस आना नहीं चाहेगा सिवाए शहीद के कि वह इस ऐजाज़ (मान- प्रतिष्ठा) के सबब पर जो उसे मिला तमन्ना करेगा कि वह दुनिया में वापिस जाए और दस बार क़त्ल हो जाए ।
30. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो शख्स अपने भाई से दुनिया का ग़म दूर करता है अल्लाह क़यामत के दिन उसके ग़म को दूर करेगा 31. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अच्छा इंसान वह है जो अदायगी अच्छे तरीके़ पर करे ।
32. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तुम में से कोई ईमानदार नहीं हो सकता, जब तक कि वह मुझसे अपने मां, बाप, औलाद और तमाम लोगों से ज़्यादा मुहब्बत न करे ।
33. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः इंसान और शिर्क व कुफ़्र के दरमियान फ़र्क़ करने वाली चीज़ नमाज़ है। (यानी नमाज़ छोड़ने से आदमी काफ़िर हो जाता है )
34. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह के रास्ते में एक दिन की तैयारी दुनिया और उसकी तमाम चीज़ों से बहतर है ।
35. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जंग की आरजू मत करो और अगर इसका मौक़ा आ पड़े तो साबित क़दम रहो, जन्नत तो तलवारों की छाया में है ।
36. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः आदमी अपने लम्बे लम्बे सफ़र में निहायत आजिजी़ और तवाजेअ से दोनों हाथों को उठाकर दुआ करता है तो अल्लाह तआला उसकी दुआ को क़ुबूल नहीं फ़रमाता क्योंकि उसका खाना, पीना हराम है उसका लिबास हराम कमाई का है और उसने हराम माल से अपने जिस्म की परवरिश की है तो भला उसकी दुआ कैसे कुबूल हो सकती है ।
37. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः रेशम का लिबास मत पहनो और न सोने चांदी के बर्तनों में खाओ पियो ।

39. रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है उसे चाहिए कि अपने महमान की इज्ज़त करे ।
40. जो लोगों के दिखलावे के लिए अमल करे अल्लाह तआला उसे दिखावेगा, और जो शोहरत के लिए काम करे अल्लाह तआला उसे मशहूर कर
देगा ।

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