मंगलवार, 22 मई 2012

कुरआन में अंकों की अद्भुत सामंजस्यता


 अल्लाह तआला ने कुरआने मक़द्दस में बहुत सी चीजों का ज़िक्र फ़रमाया है। उलमा की जमात दुनियां में आती रही और उन्होंने कुरआनी आयतों में तहकी़क़ व
तफ़तीश की तो उन्होंने कुरआन और उसकी आयतों में अजीब व गरीब मुआफ़िक़त पाई जैसे-
1. अज़-ज़ालून(गुमराहशुदा) और अल-मौता(मौतशुदा) 17-17 बार कुंरआन में ज़िक्र किया गया है और इसी तरह बराबर कुछ लफ्जों़ का उल्लेख निम्नप्रकार है।
2. अल-मुसलिमीन और अल-जिहाद, 17-17 बार
3. अस-सहर और अल-फ़ितनह, 60-60 बार
4. अज़-ज़कात और अल-बरकत, 32-32 बार
5. अल-अक्ल और अन-नूर, 49-49 बार
6. अद-दुनिया और अल-आखिरत, 115-115 बार
7. मलाइका (फ़रिश्ते) और अश-शयातीन (शैतान), 88-88 बार
8. अल-हयात (जिन्दगी) और अल-मौत (मौत), 115-115 बार
9. अन-नफ़अ़ (फ़ायदा) और अल-फ़साद (नुक़सान), 50-50 बार
10 .अन-नास (लोग) और अर-रूसूल (पैगम्बर), 368-368 बार
11. अल-शिद्दत (सख्ती) और अस-सब्र (सब्र), 114-114 बार
12. अर-रजुल (मर्द) और अल-मिराअ (औरत), 24-24 बार
इसके अलावा अस-सलाह(नमाज़) 58 बार, अश-शहर(माह) 12 बार, अल-योम
(दिन) 365 बार, और अल-बहर(समुद्र) 32 बार तथा अल-बर (भू-भाग) 13 बार कुरआन करीम में उल्लेख है। और यह कुर्र-ए-अर्जी (भूमण्डल) का आनुपातिक योग (मजमूआ) है । यदि हम करआन में उल्लेख किये गये अल-बहर (समुद्र) और अल-बर (खुश्की) का योग करें तो योग
32+13=45 होता है और हम यदि इसी का आधार मानकर समुन्द्र और खुश्की का प्रतिशत निकालें तो बिल्कुल वही प्रतिशत हमारे सामने होता है, जो आधुनिक विज्ञान ने हमारे सामने पेश किया है यानी समुन्द्री भाग 71.111111111% और खुश्क भाग (भू-भाग) 28.888888889%
तो आपकी क्या राय है? कुरआन करीम के इस एजाज़ के बारे में । क्या यह सब बाते अचानक हो गईं? किसने नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को उनकी चालीस साल की उम्र में यह कलाम सिखाया? बल्कि आपसे यही कहा जायेगा: ( और मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अपनी ओर से कोई बात दीन के बारे में अपनी ओर से नहीं बोलते यह तो एक वह्ीय होती है, जो आपकी तरफ़ एक सख्त ताक़तवर फ़रिश्ते हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने आपको इसकी तालीम दी।)
आप बतौर शुक्रिये के उसके सामने सिजदारेज़ हो जायें, क्योंकि आप मुसलमानों से हैं और आप इस किताबे मुक़द्दस के हामिलीन और आमिलीन में से हैं। और अन्त में आपको यह भी जानना जरूरी है कि यह ऐजाज़े अददी कुरआन करीम का अंशतः हिस्सा है न कि कुरआन करीम का पूरा हिस्सा।

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