अव्वल- हम अहले हदीस हिल्लत व हुर्मत में किसी की
तकलीद करें यह हम पर खालिस इफ्तरा है. हिम्मत है तो इसका सबूत दें कि अहले हदीस भैंस
को फलां इमाम की तकलीद में हलाल जानते हैं.
दोयम- शरियत में हिल्लत व हुर्मत के मुताल्लिक यह
कायदा बयान कर दिया गया और हलाल की वजाहत नहीं की गई है कि, (وقد فصل لکم ما حرم علیکم۔ سوری انعام:
۱۱۹) और जो हराम ठहरा दी हैं उनकी तफसील बयान कर दी है. (119/6)
जानवरों के मुताल्लिक़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि
वसल्लम ने यह उसूल बताया है कि (کل ذی ناب من السباع فاکلہ حرام۔ صحیح مسلم
جلد ۲، مشکوۃ ص ۳۵۹) हर कचली वाला दरिन्दा खाना हराम है.
हजरत इब्नेह अब्बास रजिअल्लाहो अन्हا रावी हैं कि (نھی رسول اللہﷺ عن کل ذی ناب من السباع وکل ذی مخطب من
الطیر۔ صحیح مسلم جلد ۲، مشکوۃ ص ۳۵۹)
रसूलुल्लाह सल्लल्ला्हो अलैहि वसल्लम ने हर कचली
वाले दरिन्दे और पंजे के साथ शिकार करने वाले परिन्दे के खाने से मना किया है.
इस इर्शादे नबवी की रोशनी में हर आकिल व समझदार देख
सकता है कि भैंस ‘ذی ناب ‘ दरिन्दां है कि नहीं. अगर कचली वाली दरिन्दा नहीं, यकीनन नहीं तो फ़रमाने नबवी और दस्तूर से यह हलाल साबित हुई. इसमें भला तकलीद की
कौनसी बात है.
सोयम- हजरत इब्ने अब्बास रजिअल्लाहो अन्ह फरमाते
हैं (فما
احل ھو حلال مما حرم فھو حرام وما سکت عنہ فھوعفو۔ ابو داؤود کتاب الاطمۃ باب مالم
یذکر تحریر حدیث نمبر ۳۸۰۰ )अल्लाह तआला ने
जिसको हलाल क़रार दिया है वह हलाल है और जिसको हराम क़रार दिया है वह हराम है और जिससे
खामोशी इख्तियार की है वह काबिले अफू है. तिर्मिजी और इब्ने माजा में हजरत सलमान फारसी
से मरफू हदीस है कि रसूलुल्लाह सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया – (وما سکت عنہ فھومما عفا عنہ)
जिससे वाजेह है कि शरियत ने जिस चीज़ से खामोशी इख्तियार की
है वह दरअसल हिल्लत के हुकुम में है. भैंस के बारे में शरियत ने कहीं हराम होने का
हुकुम नहीं लगाया, जिससे जाहिर है कि भैंस हलाल है. मगर देव बन्दियत के फने मुगालता का इमाम मास्टर
अमीन ओकाड़वी इस उसूल से नावाकिफ़ है इसलिए अहले हदीसों पर तकलीद का इल्जाम लगाता है.
चहारम- क्या आप इमाम अबू हनीफ़ा रहिमल्लाहु से सही
सनद के साथ साबित कर सकते हैं कि उन्होंने भैंस का नाम लेकर इसकी हिल्लत की वजाहत की
हो. دیدہ
باید
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